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लोक निर्माण विभाग लडभड़ोल के सहायक अभियंता पवन गुलेरिया का कहना है कि लडभड़ोल- सांड़ा पतन सड़क मार्ग में गड्डों को मिट्टी से भरने के लिए लेबर को भेज दिया गया है तथा इस सड़क की टायरिंग के लिए अभी बजट का प्रावधान नहीं है जैसे बजट का प्रावधान होगा व सैंक्शन आएगी टायरिंग करने का काम शुरू कर दिया जाएगा।

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लडभड़ोल ( मिन्टु शर्मा)लडभड़ोल-सांडा पतन सड़क की खराब स्थिति के कारण लोगों को परेशानी हो रही है। सड़क का पता नहीं चलता है की हम सड़क में चले हैं या किसी खड्ड में चले है । हाल ही में भारी बारिश के कारण कुछ हिस्सों में सड़क धंसने और उफान पर आने से भी आवाजाही बाधित हुई थी। वर्तमान में, सड़क की मरम्मत और टायरिंग के काम न होने से लोग सड़क के किनारे खड़े होकर अपनी परेशानी व्यक्त कर रहे हैं, जैसा कि state HP TV ने बताया है।  सड़क की हालत: state hp tv के अनुसार, लडभड़ोल-उटपुर-सांडापतन मार्ग की बहुत खस्ता हालत है" और कई वर्षों से इस पर कोई टायरिंग का काम नहीं हुआ है। लोगों का रोष: खराब सड़क की स्थिति के कारण स्थानीय लोगों में भारी रोष है। उन्होंने इस मुद्दे पर  प्रशासन से भी संपर्क किया है, लेकिन अभी तक समाधान नहीं हुआ है। ग्राम पंचायत उटपुर के प्रधान संजय चौहान का कहना है कि उन्होंने इस समस्या को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू को भी पत्र लिखा है तथा सहायक अभियंता लडभड़ोल के समक्ष भी यह बात रखी है। लेकिन उसमें कोई कार्य नहीं हुआ। आलम यह है वाहन चालन खस्ता हालत सड़क पर सफर करने के ...

सुंड की नहीं हो सकती है खेती, किसान हों सावधान, नहीं मिलेगी मार्केट राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय जोगिन्दर नगर ने जारी की एडवाइजरी


 जोगिन्दर नगर नगर, 22 मार्च-देखने में आया है कि आजकल कुछ किसान सौंठ की खेती करने का दावा कर रहे हैं। साथ ही प्रचार यह हो रहा है कि सौंठ का बीज कुछ सरकारी व गैर सरकारी अनुसंधान संस्थानों से मिल रहा है। लेकिन जब फसल तैयार हो रही है तो किसानों को कोई खरीदार नहीं मिल रहा। ऐसे धोखे का शिकार हो रहे किसान मार्केट न मिलने के अभाव में परेशान का सामना कर रहे हैं।

इस संबंध में आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान जोगिन्दर नगर स्थित आयुष मंत्रालय के राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड के क्षेत्रीय सुगमता केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. अरुण चंदन द्वारा एक एडवाइजरी जारी करके किसानों को सावधान रहने का सुझाव दिया गया है। उनका कहना है कि असल में सौंठ तो अदरक को विशेष विधि से सुखाकर कर बनाया जाता है। सौंठ नाम का कोई पौधा नहीं होता है।
एडवाइजरी में कहा गया है कि किसान शटी नामक पौधे जिसे कपूर कचरी सौंठ के नाम भ्रमित हो रहे हैं। कपूर कचरी हिमाचल प्रदेश के जंगलों में भी पाई जाती है, लेकिन यह कतई सौंठ नहीं है। एडवाइजरी में कहा गया है किसान ऐसे किसी भी दावे से भ्रमित न हों और 18001205778 राष्ट्रीय हेल्पलाइन से जानकारी ले सकते हैं या क्षेत्रीय कार्यालय जोगिन्दर नगर से संपर्क कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड को यह जानकारी जानकर भी आश्चर्य हुआ है कि शिमला व हिमाचल के कुछ शहरों में इस तथाकथित सौंठ को बड़े शौक से सलाद के रूप में भी परोसा जा रहा है। इस संबंध में राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड की स्थानीय विशेषज्ञ समिति जिसमें प्रो.डी.आर.नाग, डॉ.अरुण चंदन, डॉ.सौरभ शर्मा, डॉ. शीतल चंदेल एवं डॉ. पंकज पालसरा शामिल है ने कहा कि यदि कोई कहे कि वह गुड़ की खेती कर रहा है तो क्या यह संभव है। इसी तरह सौंठ भी अदरक का ही परिवर्तित रूप है। ऐसे में सौंठ की खेती संभव नहीं है जबकि अदरक की खेती की जा सकती है।
उन्होने उत्तर भारत के किसानों से इस तरह सौंठ की खेती के नाम पर भ्रमित न होने का आह्वान किया है। इस संबंध में किसी भी प्रकार की जानकारी वे सीधे राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय जोगिन्दर नगर से प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा वे राष्ट्रीय हेल्पलाइन नम्बर की भी मदद ले सकते हैं।



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