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लोक निर्माण विभाग लडभड़ोल के सहायक अभियंता पवन गुलेरिया का कहना है कि लडभड़ोल- सांड़ा पतन सड़क मार्ग में गड्डों को मिट्टी से भरने के लिए लेबर को भेज दिया गया है तथा इस सड़क की टायरिंग के लिए अभी बजट का प्रावधान नहीं है जैसे बजट का प्रावधान होगा व सैंक्शन आएगी टायरिंग करने का काम शुरू कर दिया जाएगा।

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लडभड़ोल ( मिन्टु शर्मा)लडभड़ोल-सांडा पतन सड़क की खराब स्थिति के कारण लोगों को परेशानी हो रही है। सड़क का पता नहीं चलता है की हम सड़क में चले हैं या किसी खड्ड में चले है । हाल ही में भारी बारिश के कारण कुछ हिस्सों में सड़क धंसने और उफान पर आने से भी आवाजाही बाधित हुई थी। वर्तमान में, सड़क की मरम्मत और टायरिंग के काम न होने से लोग सड़क के किनारे खड़े होकर अपनी परेशानी व्यक्त कर रहे हैं, जैसा कि state HP TV ने बताया है।  सड़क की हालत: state hp tv के अनुसार, लडभड़ोल-उटपुर-सांडापतन मार्ग की बहुत खस्ता हालत है" और कई वर्षों से इस पर कोई टायरिंग का काम नहीं हुआ है। लोगों का रोष: खराब सड़क की स्थिति के कारण स्थानीय लोगों में भारी रोष है। उन्होंने इस मुद्दे पर  प्रशासन से भी संपर्क किया है, लेकिन अभी तक समाधान नहीं हुआ है। ग्राम पंचायत उटपुर के प्रधान संजय चौहान का कहना है कि उन्होंने इस समस्या को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू को भी पत्र लिखा है तथा सहायक अभियंता लडभड़ोल के समक्ष भी यह बात रखी है। लेकिन उसमें कोई कार्य नहीं हुआ। आलम यह है वाहन चालन खस्ता हालत सड़क पर सफर करने के ...

सेना का हर 10वां वीरता पुरस्कार हिमाचली सपूत को, फिर भी अपनी रेजिमेंट नहीं

सेना का हर 10वां वीरता पुरस्कार हिमाचली सपूत को, फिर भी अपनी रेजिमेंट नहीं
देश के पहले परमवीर चक्र विजेता पालमपुर के मेजर सोमनाथ। कारगिल युद्ध में दो परमवीर चक्र समेत कुल चार सर्वोच्च सैन्य सम्मान। सेना का हर 10वां वीरता पुरस्कार हिमाचली जवान के नाम। थलसेना, वायुसेना और नौसेना में सवा लाख से अधिक जवान दे रहे हैं सेवाएं और करीब इतने ही पूर्व सैनिक देश सेवा कर चुके हैं। लेकिन आजादी के 72 साल बाद भी हिमाचल को अपनी सैन्य रेजिमेंट नहीं मिल पाई है।
चुनावों के समय हिमाचल रेजिमेंट की आवाज तो उठती रही है, लेकिन चुनावी शोर थमते ही यह मांग भी ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है। प्रदेश से हर पांच साल बाद कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों से कुल चार सांसद और छह साल बाद दो राज्यसभा सदस्य संसद में पहुंचते हैं। बावजूद इसके हिमाचल के नाम से रेजिमेंट की मांग अनसुनी रह जाती है। 
देश के कई राज्यों के नाम पर सेना में रेजिमेंट हैं। उत्तराखंड में कुमाऊं और गढ़वाल दो रेजिमेंट है। हरियाणा में भी जाट और राजपूत नाम से सेना की दो रेजिमेंट्स हैं। लेकिन सेना में करीब एक हजार बहादुरी पुरस्कार हासिल करने वाले सैनिकों के राज्य में एक भी आर्मी की रेजिमेंट नहीं है। सूबे के युवकों को डोगरा रेजिमेंट में भर्ती होने के लिए मीलों दूर फैजाबाद भर्ती केंद्र जाना पड़ता है।

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