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लोक निर्माण विभाग लडभड़ोल के सहायक अभियंता पवन गुलेरिया का कहना है कि लडभड़ोल- सांड़ा पतन सड़क मार्ग में गड्डों को मिट्टी से भरने के लिए लेबर को भेज दिया गया है तथा इस सड़क की टायरिंग के लिए अभी बजट का प्रावधान नहीं है जैसे बजट का प्रावधान होगा व सैंक्शन आएगी टायरिंग करने का काम शुरू कर दिया जाएगा।

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लडभड़ोल ( मिन्टु शर्मा)लडभड़ोल-सांडा पतन सड़क की खराब स्थिति के कारण लोगों को परेशानी हो रही है। सड़क का पता नहीं चलता है की हम सड़क में चले हैं या किसी खड्ड में चले है । हाल ही में भारी बारिश के कारण कुछ हिस्सों में सड़क धंसने और उफान पर आने से भी आवाजाही बाधित हुई थी। वर्तमान में, सड़क की मरम्मत और टायरिंग के काम न होने से लोग सड़क के किनारे खड़े होकर अपनी परेशानी व्यक्त कर रहे हैं, जैसा कि state HP TV ने बताया है।  सड़क की हालत: state hp tv के अनुसार, लडभड़ोल-उटपुर-सांडापतन मार्ग की बहुत खस्ता हालत है" और कई वर्षों से इस पर कोई टायरिंग का काम नहीं हुआ है। लोगों का रोष: खराब सड़क की स्थिति के कारण स्थानीय लोगों में भारी रोष है। उन्होंने इस मुद्दे पर  प्रशासन से भी संपर्क किया है, लेकिन अभी तक समाधान नहीं हुआ है। ग्राम पंचायत उटपुर के प्रधान संजय चौहान का कहना है कि उन्होंने इस समस्या को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू को भी पत्र लिखा है तथा सहायक अभियंता लडभड़ोल के समक्ष भी यह बात रखी है। लेकिन उसमें कोई कार्य नहीं हुआ। आलम यह है वाहन चालन खस्ता हालत सड़क पर सफर करने के ...

बाल विवाह करवाने पर विवाह सेवा प्रदाताओं को भी हो सकती है दो साल की सजा-मनीश चौधरी बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत बाल विवाह रोकथाम व जागरूकता को लेकर बैठक आयोजित 18 वर्ष से कम आयु की लडक़ी और 21 वर्ष से कम आयु के लडक़े का विवाह कानूनन अमान्य


 जोगिन्दर नगर, 03 मई-एसडीएम जोगिन्दर नगर मनीश चौधरी ने कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियिम, 2006 के तहत बाल विवाह करवाने पर विवाह सेवा प्रदाताओं जिसमें पंडित, केटरिंग का कार्य करने वाले, टैंट एव डीजे इत्यादि सेवा प्रदाता शामिल हैं को भी दो साल तक का कठोर कारावास या एक लाख रूपये तक का जुर्माना या फिर दोनों सजाएं हो सकती हैं। एसडीएम आज बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत बाल विवाह रोकथाम व जागरूकता को लेकर आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अंतर्गत 18 वर्ष के कम आयु की लडक़ी और 21 वर्ष से कम आयु के लडक़े को नाबालिग माना जाता है और नाबालिगों द्वारा किया गया विवाह गम्भीर और गैर जमानती अपराध है। उन्होंने बताया कि इस अधिनियम के तहत नाबालिगों के विवाह अमान्यकरणीय के लिए संबंधित पक्ष के लोग 2 वर्ष की अवधि के भीतर मामला जिला न्यायालय में दायर कर सकते हैं। साथ ही विवाह अमान्य होने पर विवाह के समय दूसरे पक्ष की ओर से प्राप्त उपहारों, गहनों व धनराशि इत्यादि को भी वापिस करना होता है।
मनीश चौधरी ने कहा कि जो कोई व्यक्ति बाल विवाह को बढ़ावा देता है या फिर इसका प्रचार करता है, तो ऐसा व्यक्ति भी बाल विवाह अधिनियम के तहत सजा का हकदार है। जिसके तहत 2 वर्ष का कठोर कारावास या एक लाख रूपये का जुर्माना या फिर दोनों सजाएं हो सकती हैं।
उन्होंने कहा कि यदि कहीं पर भी बाल विवाह से जुड़ा कोई भी मामला लोगों के ध्यान में आता है तो वे इस संबंध में उनके कार्यालय, सीडीपीओ के कार्यालय या फिर संबंधित क्षेत्र की पुलिस को सूचना उपलब्ध करवा सकते हैं। उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग तथा पुलिस विभाग को ग्रामीण स्तर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, महिला मण्डलों एवं पंचायत प्रतिनिधियों के माध्यम से समाज के सभी लोगों को बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के सभी प्रावधानों की जानकारी उपलब्ध करवाने तथा इस संबंध में लोगों को जागरूक करने के भी निर्देश दिए।
बैठक का संचालन गठित समिति के सदस्य सचिव एवं सीडीपीओ चौंतड़ा बालक राम वर्मा ने किया।
बैठक में सीडीपीओ बीआर वर्मा के अतिरिक्त बीईईओ चौंतड़ा राजू राम, बीईईओ लडभड़ोल कांता देवी, एएसआई राम चंद, पंडित राकेश कुमार सहित समिति के अन्य सदस्य मौजूद रहे।

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